डॉ.अंजु की दो लघुकथाएँ
दोषी
“बच्ची को आज फिर नीचे गिरा दिया तूने। चल उठ, नीचे ही सो। सुन नहीं रही क्या?” नर्स की तेज आवाज ने रात के...
हाल ही की लोकप्रिय रचनाएँ
ध्रुवस्वामिनी में स्त्री-चिंतन |अनुराधा
भारत में पितृसत्तात्मक समाज है। इस पितृसत्तात्मक समाज में धर्म, वर्ग, जाति और वर्ण के आधार पर स्त्री को दोयम दर्जे का प्राणी माना...
आरंभ ई पत्रिका 14वां अंक (अनुक्रमणिका)
संपादकीय
प्रसंग (संपादकीय) | शैलेंद्र कुमार सिंह
शोधालेख
प्रसाद की दृष्टि में नारी का स्वरूप | डॉ॰ वसुन्धरा उपाध्याय
गुलज़ार की कहानियों में भारत विभाजन की त्रासदी :...
प्रसाद की दृष्टि में नारी का स्वरूप | डॉ॰ वसुन्धरा उपाध्याय
जयंशकर प्रसाद आधुनिक हिन्दी साहित्य के अग्रण्य कलाकार हैं। उनकी सर्वतोन्मुखी कविता का उन्मेष कविता, कहानी, उपन्यास, निबन्ध, आलेाचना आदि सभी साहित्यिक रूपों में...
वर्तमान परिदृश्य में युवाओं की ग्रामीण विकास में सक्रिय भूमिका | सिम्मी चौहान
‘युवा’ समाज का वह हिस्सा है, जिसके द्वारा किसी देश का भविष्य निर्मित होता है। उसकी उम्र के साथ-साथ उसकी आँखों में बड़े-बड़े सपनों...
प्रसंग (संपादकीय) | शैलेंद्र कुमार सिंह
“निसार मैं तिरी गलियों के ऐ वतन कि जहाँ
चली है रस्म कि कोई न सर उठा के चले
जो कोई चाहने वाला तवाफ़ को निकले
नज़र...